'प्रकाश का सिंधु' में कौन-सा अलंकार है?
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • उपमा अलंकार
  • अनुप्रास अलंकार
'दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित' से क्या तात्पर्य है?
  • कवयित्री कहती हैं मुझे प्रकाश का असीमित संसार दे दे
  • कवयित्री कहती हैं मुझे सीमित प्रकाश प्रदान करो
  • आध्यात्मिक प्रकाश को अपार समुद्र के समान विस्तृत रूप से फैला दे
  • चारों ओर रोशनी ही रोशनी कर दे ताकि सिंधु दिखने लगे
"मृदुल मोम-सा घुल रहे मृदु तन"- का आशय स्पष्ट कीजिए।
  • कवयित्री अपने शरीर को मोम के समान पिघलाने की बात कह रही हैं।
  • कवयित्री अपने शरीर को मोम के समान कोमल बनाना चाहती हैं
  • कवयित्री अपने अहं को गलाकर प्रभु भक्ति में समर्पित होना चाहती हैं
  • इनमें से कोई नहीं
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